
Qurratulain Hyder | Indian Urdu Novelist | Director – Madhulika
Courtesy Doordarshan Continue reading Qurratulain Hyder | Indian Urdu Novelist | Director – Madhulika
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यौवन मेरा न संभले है हूं अधेड़ फिर भी उबले है मैं मत्त मदांध लेकर सड़ांध बन आज आम बौराया हूं हॉस्टल के द्वार खिड़की के पार हस्तमैथुन करने आया हूं हां, वही वही मस्टरबेशन करतें हैं जिसको सारे जन मैं बेच लाज आया हूं आज इसको दिखलाने तुमको भी ये राज़ बताने तुमको भी मेरा पौरुष हुआ निरंकुश अब गटर सा मैं उफ़नाया … Continue reading हस्तमैथुन (Masturbation) – Mayank Saxena
आप वो समाज हैं, जो बाबरी गिरने के बाद घरों की छतों पर खड़े हो कर थालियां पीट रहे थे..घंटे-घड़ियाल बजा रहे थे…रात को मशाल ले कर विजय जुलूस निकाल रहे थे…दीए जला रहे थे… आप वह समाज हैं, जो गुजरात के निर्मम जनसंहार में हज़ार लोगों के बेरहम क़त्ल को गोधरा को लेकर तर्कसंगत बताने में लगे थे…बिल्कीस के बलात्कार, उसकी तीन साल की … Continue reading हम सब अभिशप्त हैं, क्योंकि हम देख और महसूस कर पाते हैं – Mayank Saxena
मैं औरत हूं और मुझे नहीं चाहिए पिता की संपत्ति में हिस्सा भाई से कोई तोहफ़ा पति से निजी खर्च और बेटे से बुढ़ापे का सहारा ये सब तुम रख लो और साथ में रख लो मेरा धर्म, जात और मेरा तुम्हारे साथ वो हर रिश्ता जो मेरे औरत बने रहने में मुझे तक़लीफ़ देते हैं इस असल के सूद में मैं दूंगी तुम्हें मेरा … Continue reading तुम बचे रह गए पुरुष और मैं दूर होती गई- Ila Joshi
Read Dylan’s speech, which was read by United States Ambassador to Sweden Azita Raji, below: Good evening, everyone. I extend my warmest greetings to the members of the Swedish Academy and to all of the other distinguished guests in attendance tonight. I’m sorry I can’t be with you in person, but please know that I am most definitely with you in spirit and honored to … Continue reading Bob Dylan on Winning the Nobel for Literature
यह बड़ी पुरानी बात है कोसल का एक राजा था एक दिन राजा ने उद्बोधन किया … प्रिय प्रजाजनों प्रिय संत जनों राष्ट्र हित में बस पचास दिन और पचास रात जो देता हूँ वह दुख सहन करो वह राजा था इसलिए उद्बोधन कर सकता था दुख सुख सब कुछ दे सकता था भक्त प्रजा ने भजन किया बस पचास दिन और पचास रात … Continue reading पचास दिन पचास रात – बोधिसत्व