आँखें (by Shaleen Rakesh)
तुम ही थे मुझसे पहले हमसे पहले उससे भी पहले जब डर जैसा शब्द मेरे होंठों पे चुभा करता था वो डर जो मुझसे अक्सर लड़ा करता था और मुझे बेज़ार छोड़ आता था वहां जहाँ तुम्हारी आँखें टिकती थीं Continue reading आँखें (by Shaleen Rakesh)