पूर्व वित्त मंत्री से पूछा गया था कि क्या केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक पैकेज में एमएसएमई सेक्टर में 100 करोड़ तक के निवेश की छूट का बड़ी कंपनियां फ़ायदा उठाकर, इस सेक्टर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं? ऐसी स्थिति में छोटे उद्योगों को ऐसी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा, जो उनके लिए नहीं होनी चाहिए और इससे उनका अस्तित्व संकट में आ जाएगा। (Do you think that the Big Fish will enter the pond and eat up the small fish?) और क्या केंद्र सरकार उन सेक्टर्स को कोरोना संकट से जोड़ रही है, जिनका इससे कोई लेना-देना ही नहीं है और मौके का फ़ायदा उठा रही है? जैसे कि लैंड और डिफेंस?
पी चिदंबरम ने एमएसएमई पर सरकार के फैसले को ये कह कर टाल दिया कि वह अभी इसका और अधिक विश्लेषण और अध्ययन कर के ही कुछ कहेंगे। उन्होंने ये ज़रूर कहा कि सरकार का ये आर्थिक पैकेज ‘पाप की गठरी’ (All package of Sins) है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस पैकेज में गरीब के लिए कुछ भी ऐसा नहीं किया है, जो उसको कुछ भी राहत दे। जो गरीब सड़क पर है, वो अंततः सब समझता है। उन्होंने कहा कि ये वो सैंटा क्लॉज़ है, जो लोगों की झोली खाली कर रहा है। उन्होंने आगे जोड़ा कि निश्चित रूप से पीएम ने जो लैंड शब्द का इस्तेमाल किया, वह हैरान करता है कि आख़िर ज़मीन का कोरोना से क्या मतलब है। विनिवेश का एक प्रोसेस होता है और सरकार ऐसे ही कुछ भी एलान नहीं कर सकती है। ऐसे में सरकार की नीयत पर सवाल है। लेकिन आम आदमी को जब चोट लगती है, तो उसे सारे सच का अहसास होता है।
ये पूछे जाने पर कि क्या पूर्व वित्त मंत्री को लगता है कि सरकार इस मौके को आर्थिक-वित्तीय आपातकाल की तरह भुना रही है और इस बहाने अपने एजेंडे को साध कर, संसद को भी पीछे कर रही है – पी चिदंबरम ने कहा, “निश्चित तौर पर अगर आप ये पूछना चाह रहे हैं कि क्या सरकार अवसरवादियों की तरह बर्ताव कर रही है, तो हां – ये सरकार ऐसा कर रही है। ऐसे वक़्त में जब सरकार के पास मौका था कि वह आर्थिक सुधारों के इस मौके को बेहतर इस्तेमाल करे, वह मौकापरस्तों की तरह बर्ताव कर रही है।”
आगे इसी सवाल के जवाब में पी चिदंबरम ने कहा कि सरकार को ऐसा करने का अधिकार भी नहीं है। उन्होंने 5 किस्तों में आर्थिक पैकेज के एलान को, 5 एपीसोड का धारावाहिक करार देते हुए कहा कि सरकार ने इस मामले में किसी की कोई राय या सहमति नहीं ली। न ही सरकार ने किसी स्टेकहोल्डर से विमर्श किया और न ही ये सही समझा कि विधायिका यानी कि संसद की प्रतीक्षा की जाए, राज्यों से भी कोई चर्चा नहीं की गई और बस ऐसे ही एलान कर दिया गया। ये अपने आप में गंभीर बात है और हम इस बारे में रोज़ बात कर रहे हैं, जल्द ही एमएसएमई वाले सवाल पर भी हम जवाब देंगे।
इस प्रेस कांफ्रेंस की शुरुआत करते हुए, पूर्व वित्त मंत्री ने एक छोटा सा बयान पढ़ा, जिसमें इस आर्थिक पैकेज के एलान को 5 किस्तों का सोप ओपेरा कहते हुए, उन्होंने कहा कि सरकार का ये दावा झूठ है कि ये आर्थिक पैकेज, देश की जीडीपी का 10 फीसदी है। चिदंबरम ने कहा कि दरअसल सरकार की ये घोषणाएं पहले से ही वित्तीय बजट का हिस्सा थी और इसमें सरकार ने कुछ भी एक्स्ट्रा नहीं दिया है। ये पैकेज जीडीपी का 10 फीसदी नहीं, बल्कि 1 फीसदी से भी कम है। कांग्रेस पार्टी इस पर अब रोज़ सवाल करेगी और जनता तक जाएगी।
एक और सवाल के जवाब में पी चिदंबरम ने कहा कि अगर देश की गरीब जनता, जो वापस अपने गांव चली गई है – उसके पास पोस्टल बैलेट से वोट करने का अधिकार होता, तो वो निश्चित रूप से इस सरकार को जवाब देती।
Courtesy: Hindi translation by Media Vigil