वाशिंगटन/नई दिल्ली। अमेरिका द्वारा भारत में अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी रिपोर्ट को भारतीय विदेश मंत्रालय ने खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए साफ कहा है कि इस मामले में किसी विदेशी इकाई को हस्तक्षेप और बोलने का अधिकार नहीं है। वहीं भाजपा ने भी इस रिपोर्ट को पूर्वग्रह से प्रेरित और झूठी करार दिया है।
खबरों के अनुसार, अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2018 में अल्पसंख्यक समुदाय खासतौर से मुस्लिमों को कट्टरपंथी हिंदू समूहों ने भीड़ हिंसा का शिकार बनाना जारी रखा। यह काम पीड़ितों के प्रतिबंधित मांस के लिए गोवंश की हत्या करने या व्यापार करने की अफवाह के नाम पर किया गया।
अमेरिकी विदेश विभाग ने यह रिपोर्ट जारी की है जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे खारिज किया है। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि, ‘भारत को अपनी धर्मनिरेपेक्ष साख और सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के अलावा सहिष्णुता और समावेश के लिए एक दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के साथ एक बहुलवादी समाज होने पर गर्व है। भारतीय संविधान हर नागरिक को उसके मूलभूत अधिकारों को सुनिश्चित करता है जिसमें अल्पसंख्यक भी शामिल हैं। ‘
अमेरिकी विदेश विभाग ने “भारत 2018 अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट” शीर्षक रिपोर्ट में कहा है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों, वंचित समुदायों के खिलाफ होने वाली भीड़ हिंसा पर कार्रवाई करने में सरकार कई बार विफल रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा ने रिपोर्ट को नरेंद्र मोदी सरकार और भाजपा के प्रति “पूर्वाग्रह से प्रेरित” एवं “झूठी” करार दिया है। साथ ही कहा है कि भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं की जड़ें बहुत गहरी हैं।
भाजपा मीडिया प्रकोष्ठ के प्रमुख अनिल बलूनी ने कहा कि अमेरिकी रिपोर्ट की मूल अवधारणा है कि यहां अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के पीछे कोई षड्यंत्र है। यह सरासर झूठ है। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत ऐसे ज्यादातर मामलों में स्थानीय विवादों और अपराधी तत्वों का हाथ होता है। जब कभी जरूरत हुई तो प्रधानमंत्री और भाजपा के अन्य नेताओं ने अल्पसंख्यकों और समाज के कमजोर वर्ग के लोगों के विरुद्ध हुई हिंसा की कड़ी अलोचना की।
भाजपा नेता ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं की जड़ें बहुत गहरी हैं। वे पूरी तरह से स्वतंत्र हैं और वे ऐसे विवादों का फैसला करने और दोषियों को सजा देने में पूर्णतः सक्षम हैं।