अमित शाह की जायदाद में 300% बढ़ोतरी और अपराध के केस ख़त्म बताने वाला एफिडेविट। डाउनलोड कर लीजिए। इसमें फेरबदल किए जाने की आशंका है।
हो सकता है डिलीट हो जाए।
यह चुनाव आयोग की वेबसाइट से है।
अमित शाह की कभी प्लास्टिक की पाइप की दुकान थी। अब उनके पास सैकड़ों कंपनियों के लाखों शेयर हैं।
बेनामी की छोड़िए, उनके अपने ताज़ा एफिडेविट के मुताबिक़ उनके शेयरों का बाज़ार मूल्य इस समय 13 करोड़ 17 लाख 71 हज़ार रुपए है।
उनका सबसे ज़्यादा निवेश रिलायंस इंडस्ट्रीज़ और बिड़ला की कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट में है।
अगर आप इनके निवेश वाली पाँच सबसे बड़ी कंपनियों पर नज़र रखेंगे, तो कई सरकारी नीतियों का अर्थ समझ पाएँगे।
उचित तो यह होता कि मीडिया आपको यह सब बताता। लेकिन यह सारी मेहनत हम जैसे लोगों को करनी पड़ रही है।
जादू।
2012: अमित शाह पर हत्या, हत्या की कोशिश, ज़बरन उगाही, धमकी देने जैसे दर्जनों केस थे।
2017: अमित शाह पर कोई मुकदमा नहीं है।
अमित शाह के दोनों एफिडेविट आपके सामने हैं।
इस बीच सिर्फ इतना बदला कि CBI मनमोहन सिंह से नरेंद्र भाई के हाथ में आ गई।
बीजेपी इतना खुलकर खेलती है।
डर के दो चेहरे
1. टाइम्स ऑफ़ इंडिया और आउटलुक ने अमित शाह की काली सम्पत्ति वाली ख़बर छापकर फिर हटा ली।
2. एनडीटीवी, द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस समेत ज़्यादातर मीडिया ने यह ख़बर न छापी, न दिखाई। ख़बर हटाने की ज़रूरत उन्हें नहीं पड़ी।
वहाँ नौकरी करने वाले कुछ लोग पर्सनल ब्लॉग ज़रूर लिख रहे है। वह भी गोल-गोल भाषा में। बच-बचाकर।
ज़्यादा डरा हुआ कौन है?
टाइम्स ऑफ़ इंडिया और आउटलुक
या
एनडीटीवी, द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस?
कुल मिलाकर, आपको दो तरह के डरे हुए मीडिया हाउस में से कम डरपोक को चुनना है।
यह हाल तब है जब अमित शाह की अपनी जमा की हुई और चुनाव आयोग की वेबसाइट पर पब्लिक के लिए मौजूद एफिडेविट पर रिपोर्ट बनानी है।
अमित शाह की बेनामी संपत्ति की रिपोर्टिंग करने की नौबत आए तो मीडिया पेंट में ही कर देगा।