डियर डोनल्ड,
जब ये खत तुम्हें मिलेगा तब मैं शायद नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री रूट के गले पड़ रहा हूंगा…. वो.. मेरा मतलब.. गले लग रहा हूंगा। भले ही मैं अमेरिका से निकलकर अब समंदर के ऊपर हवा में हूं लेकिन मेरा दिल वहीं व्हाइट हाउस के किसी कोने में ठहर गया है। कितना सुखद था तुमसे और मेलानिया भाभी से मिलना!!! उन्होंने कल रात जिस तरह गर्म रोटियां सेंक कर खिलाईं वैसी तो मैं बस तभी खा पाता था जब दिन भर चाय बेचकर थक हारकर घर लौटता। व्हाइट हाउस में आकर लगा मानो अपने घर अहमदाबाद लौट आया हूं। हमारे घर की पुताई भी सफेद ही है ना! हे हे हे !!
इस वक्त हवाई जहाज में बैठकर तुम्हें बहुत मिस कर रहा हूं। 4 घंटे में तीन बार तुम्हारे गले लगना, साढ़े 5 बार हाथ मिलाना (एक बार तुमने बार-बार हाथ मिलाने से तंग आकर अपना हाथ खींच लिया था वो आधा माना) और विदाई के वक्त गेट तक मेरी गाड़ी को देख मेलानिया भाभी का टाटा करना!!! उफ्फ.. कितना अपनापन था उनकी टाटा में….
मगर देखो मैं ज़रा सा मूड बदलने के लिए इधर घूमने क्या निकला वहां ज़िनपिंग के आदमियों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा ही रोक दी। बताओ ऐसे कोई करता है क्या ? ज़रा सा घर से निकला नहीं कि पड़ोसी कोई ना कोई खेल कर देते हैं। ज़िनपिंग को तो मैंने अहमदाबाद बुलाकर झूला तक झुलाया था। झूला झूलकर भी उसका दिल चाइनीज़ आइटम की तरह प्लास्टिक का निकला।
खैर, बिटिया इंवाका को मैंने इंडिया आने का न्यौता दिया है। भेज देना। बच्चे बड़े हो रहे हैं तो अकेले भी बाहर घूमने के लिए भेजना चाहिए। खैर, अभी खत बंद करता हूं। नीदरलैंड्स दिखने लगा है। अमित ने नई अचकन बनवाकर सूटकेस में रखवाई थी उसे ही पहन लेता हूं। नीचे भीड़ देखकर लग रहा है कि काफी सारे फोटोग्राफर्स आए हैं.. बहुत मज़ा आएगा … वाओ!!
बाकी बाद में…
तुम्हारा,
उड़ता उड़ेंद्र
#उड़ताउडे़ंद्रकेखत