होली में घर गया तो यूपी की खतरनाक स्थिति से वाक़िफ हुआ..! गाँव-गाँव ‘जियो क्रांति’ का असर है । मोबाइल पर लगातार ज़हरीले विचार और वीडियो शेयर किए जा रहे हैं। नौजवान, आईएस के गला काटने और भीड़ को गोलियों से भूनने वाले सही -ग़लत वीडियो देखने और उन्हें आगे बढ़ाने में मुब्तला हैं..उनके लिए सारे मुसलमान आईएसआईएस का झंडा उठाए हत्यारे हैं जिन्हें केवल मोदी जी ठीक कर सकते हैं । इसके साथ ही मोबाइल क्रांति से इन चीजों पर भी भरोसा जमा है —
1. नेहरू के पुरखे मुसलमान थे और वह एक नंबर का अय्याश था ! सत्ता के लिए देश का विभाजन करा दिया !
2. गाँधी ने पटेल की जगह नेहरू को पीएम बनाकर गलत किया !
3.गोडसे ने गाँधी को मारकर ठीक किया !
4. इंदिरा गाँधी की शादी फ़ीरोज़ नाम के एक मुसलमान से हुई थी…
5. अंग्रेज़ों के आने से पहले देश में सौ फ़ीसदी साक्षरता थी…उन्होंने सारे गुरुकुल नष्ट कर दिए और संस्कृत पर पाबंदी लगा दी….कांग्रेस ने वही व्यवस्था बरकरार रखी…
ऐसे ही ना जाने कितनी बातें ! व्हाट्स ऐप के ज़रिए उन्हें रोज़ाना तीन -चार जहरीले इंजेक्शन लगते हैं । खाया-पिया अघाया मध्यवर्ग ऐसे मैसेज आगे बढ़ाकर देशप्रेमी होने के अहसास से भर जाता है ! उसे मोदी जी के अवतार होने पर यकीन है जो महमूद गज़नवी से लेकर जिन्ना तक का बदला चुकाने आए हैं ! महँगाई बढ़े चाहे बेरोजगारी, सारे कष्ट सह कर इस लड़ाई को जीतना है !
इस ज़हर को उतारने के लिए एक महाप्रयास की जरूरत है जो चुनावी राजनीति से अलग सिर्फ ‘सुलह-कुल’ की बात करे…सोशल मीडिया को मोहब्बत से भरी भलाई की सप्लााई करे ! ज़मीन पर भाईचारे का व्यापक अभियान चलाए ! कबीर, मानक, रैदास गाए जिनके महान होने पर फिलहाल समाज को संदेह नहीं है । यह संस्कृतिकर्म नहीं राजनीतिक कार्रवाई होगी !
वरना किसी चुनाव में बीजेपी को किसी जुगाड़ से हरा भी दिया तो समाज ज़हर में ही डूबा रहेगा ! मुझे यह अनुभूति जिस विधानसभा क्षेत्र में हुई वहाँ बीजेपी नहीं, कांग्रेस जीती है..90 हजार वोटों से !