दर्द का रिश्ता।
आज पहली बार एक मंच पर आईं रोहित वेमुला की माँ राधिका वेमुला और डेल्टा मेघवाल के पिता महेंद्र मेघवाल।
दोनों की आँखों में आज मैंने तकलीफ़ का समुंदर देखा।
दोनों ने कहा कि एक ऐसा भारत चाहते हैं, जिसमें किसी छात्र को रोहित या डेल्टा न बनना पड़ा।
मौक़ा था आज हरियाणा में DASFI के पाँचवे राष्ट्रीय अधिवेशन का।
इन दोनों को तकलीफ़ देने वाले संघियों के लिए यह बुरी खबर है। जातिवादियों से परेशान लोगों की एकजुटता बन रही है।
गोरक्षकों से परेशान लोग इनके साथ हैं। ज़बरन कॉमन सिविल कोड थोपने की कोशिश से नाराज़ लोग इनके साथ हैं। वे किसान और आदिवासी भी, जिनकी ज़मीनी ज़बरन लेकर उन्हें प्राइवेट कंपनियों को दिया जा रहा है।
यह दर्द का रिश्ता है।