महान शूद्र विद्वान और तपस्वी शंबूक की हत्या करने वाला मेरे लिए मर्यादापुरुषोत्तम नहीं है। अगर वह आपका मर्यादापुरुषोत्तम है, तो यह आपकी आज़ादी है।
मुझे अपना मर्यादापुरुषोत्तम चुनने की आज़ादी संविधान देता है। देखें अनुच्छेद 15 और 25. इसी आज़ादी के तहत शंबूक वध की निंदा करने वाली सैकड़ों किताबें छपी हैं, नाटक लिखे गए हैं, कविताएँ लिखी गई हैं, लिखी जा रही हैं।
मेरा मर्यादापुरुषोत्तम सहनशील होगा, न्यायप्रिय होगा, औरतों के सम्मान का रक्षक होगा, अनावश्यक हिंसा और बिनावजह संशय से परहेज़ करेगा, हर जाति के प्रति समभाव रखेगा।
किसी के उकसाने पर वह निर्दोष ज्ञानी की जान नहीं लेगा।
मेरे मर्यादापुरुषोत्तम बुद्ध हैं, अशोक हैं। कबीर, रैदास, चोखामेला, तुकाराम, मक्खली घोषाल हैं। नारायणा गुरु हैं।
फ़ातिमा शेख़ और फुले दंपति ने निभाई है मर्यादा।
मेरे मर्यादापुरुषोत्तम शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज हैं। बिरसा मुंडा, शाहूजी महाराज, बाबा साहेब, पेरियार, कय्यूम अंसारी, जयदेव प्रसाद, रामस्वरूप वर्मा, ललई सिंह यादव, कर्पूरी ठाकुर हैं मर्यादा का ख़्याल रखने वाले।
आपके मर्यादापुरुषोत्तम आपको मुबारक।