वही जो तथागत गौतम बुद्ध, सम्राट अशोक, नानक, बसवन्ना, कबीर, रैदास, शिवाजी महाराज, जिजाऊ माता, संभाजी महाराज, ज्योतिबा फुले, फ़ातिमा शेख, सावित्रीबाई फुले, शाहूजी महाराज, नारायणा गुरु, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, अछूतानंद, गाडगे महाराज,, अब्दुल कय्यूम अंसारी, पेरियार, ललई सिंह यादव, रामस्वरूप वर्मा, जगदेव प्रसाद, सर छोटूराम, कर्पूरी ठाकुर, बीपी मंडल की विचारधारा है।
मानव श्रम की प्रतिष्ठा, किसानों, पशुपालकों, कारीगरों का सम्मान, निठल्लों के वर्चस्व का अंत, जातिवाद का अंत, सामाजिक लोकतंत्र की स्थापना, स्त्री-पुरुष समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, विकसित भारत का निर्माण।
दलित साहित्य , आदिवासी साहित्य और ओबीसी साहित्य का जब संयुक्त अधिवेशन होगा उसे बहुजन साहित्य सम्मेलन नाम से जाना जाएगा। ओबीसी साहित्य सभा बने बग़ैर बहुजन साहित्य अधूरा रहेगा।