भारत में आज़ाद ख़्वाहिशों की एक ख़ूबसूरत सुबह।
ऊना, गुजरात से आई कुछ प्यारी तस्वीरें। एक से बढ़कर एक।
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ।
भारतीय आवाम की यह चट्टानी एकता क़ायम रही तो यूपी चुनाव यानी मार्च 2017 के बाद संघी किसी पर हमला करने के क़ाबिल नहीं रहेंगे। बीजेपी में राजनाथ बनाम मोदी बनाम गडकरी बनाम शाह चलेगा अगले लोकसभा चुनाव तक। सरकार 2019 की गर्मियों तक वेंटिलेटर पर होगी।
मैं तो सिर्फ यह अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा हूँ कि जनता की एकजुटता को तोड़ने और अशांति फैलाने के लिए RSS क्या करेगा और ब्राह्मणवादी मीडिया उसे कैसे उछालेगा। वह चीज गाय तो नहीं है। क्या है वह चीज जिसका इस्तेमाल एकता को तोड़ने के लिए होगा?
वैसे ये लोग हैं बहुत शातिर। कुछ कोशिश तो करेंगे ज़रूर।
मौजूदा दौर का दलित, बहुजन एजेंडा शांति और भाईचारा है।
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ।
चैनलों में ऊना, गुजरात की खबर क्यों खोज रहे हैं? आपके बाप का चैनल है क्या और वहाँ क्या आपके रिश्तेदार काम करते हैं? जिनके रिश्तेदार हैं, उनको दिखा रहे हैं।
दिल्ली में आज की तारीख में एक दलित एंकर नहीं है। चैनलों में कभी-कभार सवर्ण दया और सहानुभूति तो मिलेगी, आपके हक़ की बात नहीं।
हां, दलित उत्पीड़न, हत्या, बलात्कार की खबर वे खूब दिखाएंगे। मारने वालों को दबंग बताएँगे।
रोता हुआ दलित उन्हें पसंद है। मुट्ठी बाँधकर हक़ माँगते दलित उन्हें पसंद नहीं। मुसलमानों के साथ, पिछड़ों के साथ एकजुट होते दलितों से संपादकों, एंकरों का जी घबराता है।
नाम के लिए पाँच लोगों के बीच बिठा देंगे एक कमज़ोर सा “दलित चिंतक,” जो आपकी बात मज़बूती से रख नहीं पाएगा। अंत में उसी से कहलवा देंगे कि आरक्षण ख़तम होना चाहिए। वह बोल भी देगा, क्योंकि उसे अगली बार चैनल पर चेहरा दिखाने का लालच है।
समझ लीजिए कि आपके बाप का चैनल नहीं है।
ऊना, गुजरात में तिरंगा, जिसके बीच में गहरे नीले रंग का अशोक चक्र है, राधिका वेमुला ने फहराया…
मोदी जी देखिए, रोहित गुजरात में भी उग आया है…महंगा पड़ेगा।
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