Gujarat Victims come on Facebook in support of Teesta Setalvad-
तीस्ता शीतलवाड़ :-
फेसबुक पर कुछ ज्ञानी लोग “तीस्ता शीतलवाड़” के ऊपर आरोपों की झड़ी लगाते हुए गुजरात दंगों के पीड़ितों को न्याय ना मिलने का दोषी तीस्ता शीतलवाड़ को ही मान रहे हैं और कहीं ना कहीं अपने शब्दों से “गुजरात दंगों” के असली मुजरिम नरेंद्र मोदी अमित शाह इत्यादि से बड़ा अपराधी “तीस्ता शीतलवाड़” को सिद्ध करने पर तुले हुए हैं।
तर्क यह है कि यदि “तीस्ता शीतलवाड़” ना होतीं तो “गुजरात दंगे” की जाँच अंतरराष्ट्रीय एजेंसियाँ करतीं और पीड़ितों को न्याय मिलता जो तीस्ता शीतलवाड़ ने अपने प्रयास से पीड़ितों के साथ खड़े होकर ना होने दिया और दुनिया को दिखाया कि भारत के अन्य धर्म के लोग पीड़ितों के साथ हैं और उनकी मदद कर रहे हैं।
“तीस्ता” की आलोचना कर रहे लोग तीस्ता को दंगाईयों के “बैलेन्सवादी” टूल्स होने का आरोप लगाकर उनपर तमाम भ्रष्टाचार का आरोप उसी तरह लगा रहे हैं जैसे “गुंडावादी” संगठन सदैव से लगाते रहे हैं ।
और फिर केन्द्र सरकार अंत में उनको प्रताड़ित करने के लिए उनके एनजीओ “सबरंग” का पंजीकरण यह सरकार रद्द कर देती है , ध्यान दीजिए कि गुजरात दंगों के मुसलमान पीड़ितों का निःशुल्क मुकदमा लड़ रही वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह के एनजीओ का लाईसेन्स भी यह सरकार रद्द कर चुकी है।
बड़ी अजीब सी स्थित है , तीस्ता पर आरोप लगाने वाले लोग विरोध में तथ्यों की कैसी अनदेखी करते हैं सोचता हूँ तो दुःख होता है कि गुजरात दंगों के पीड़ितों की आँसू पोछती तीस्ता उन्हीं के निशाने पर भी आ सकती हैं । इन छद्म बुद्धिजीवियों को यह भी नहीं पता कि विदेशी जाँच एजेंसियों से गुजरात दंगों की जाँच का जो शगूफा आज उनके दिमाग में फूट रहा है उसके लिए तीस्ता शीतलवाड़ बहुत पहले प्रयास कर चुकी हैं और इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय की सख्त टिप्पणी “आपको हम पर विश्वास क्युँ नहीं है जो आप अंतरराष्ट्रीय एजेंसी जाँच के लिए चाहती हैं” के कारण वह ऐसा करने में सफल ना हो सकीं।
तीस्ता शीतलवाड़ ने निश्चित रूप से दंगा पीड़ितों के लिए बेहतरीन काम किया है । नरेन्द्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते उनके विरुद्ध लड़ाई लड़ कर दंगा पीड़ित मुस्लिमों के लिए कार्य करने की कठिनाई और खतरे का यदि किसी को एहसास नहीं तो हरेन पाँड्या और संजीव भट्ट जैसे उदाहरण आज भी उपलब्ध हैं वह देख सकते हैं।
सवाल उन लोगों से मेरा है कि “तीस्ता शीतलवाड़” ही यदि गुजरात दंगों के पीड़ितों को न्याय ना मिलने की दोषी हैं तो “भागलपुर” “हाशिमपुरा” “मुजफ्फरनगर” “मेरठ” “मलियाना” “मुरादाबाद” “मुम्बई” “बनारस” “इलाहाबाद” “84” “संभल” “कानपुर” ” जैसे भीषण दंगों में दंगा पीड़ितों को न्याय क्युँ नहीं मिला और इन सभी दंगो के साथ गुजरात दंगों में किस मुसलमान ने आगे बढ़कर दंगों के पीड़ितों की मदद की ? यहाँ तो तीस्ता शीतलवाड़ नहीं थीं ? या थीं ? किस अंतरराष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने इन दंगों की जाँच की और दोषियों को फाँसी पर चढ़ा कर पीड़ितों को न्याय दिया ? क्या किया किसी मुसलमान तुर्रमखान ने इन दंगों में पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ? “बाबा जी का ठुल्लू” किया।
दरअसल इस देश में पीड़ित यदि मुस्लिम समाज से है तो न्याय की आशा करना ही व्यर्थ है , तीस्ता ने तो बस उन पीड़ितों के आँसू पोछे , निर्णय तो वही होगा जो इस देश में होता रहा है और होता रहेगा।
दरअसल हम कायर और एहसान फरामोश हो गये हैं और कुछ नहीं , खुद तो अपने लिए कुछ करते नहीं और जो किसी ने कुछ किया तो उसी पर आक्रमण करने लगते हैं कि भविष्य में कोई और हमारे साथ खड़े होने की हिम्मत ही ना कर सके और ऐसा कौन चाहेगा ? निश्चित रूप से “गुंडावादी” संगठन , तो हम क्युँ ना मान लें कि तीस्ता शीतलवाड़ पर आक्रमण करने वाले लोग संघ के इशारे पर ऐसा कर रहे हैं कि भविष्य में मुसलमानों के दर्द के साथ खड़ा होने की कोई हिम्मत ना कर सके ?
गुजरात दंगों के पीड़ितों की मदद कर रहे तीस्ता शीतलवाड़ हों या इंदिरा जय सिंह जैसे लोगों को सरकार द्वारा प्रताड़ित करने पर हम उनके साथ खड़े होकर उनका समर्थन करने के बजाय उन्हीं की आलोचना करने लगें तो कितने कमजर्फ हैं हम यह समझा जा सकता है।
और बात तीस्ता शीतलवाड़ पर लगे भ्रष्टाचार की है तो सरकार द्वारा आरोप लगाना और आरोपों से बरी होने का उदाहरण दो वर्षों में ही इतना अधिक हो गया है कि अब ऐसे आरोपों पर विश्वास करना मुर्खता ही होगा , और यदि तीस्ता भ्रष्ट हैं तो भी आज के हिन्दुस्तान में अब यह अप्रसांगिक ही है , क्युँकि भ्रष्ट होना आज के भारत में कोई अपराध नहीं है। आप केन्द्र सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को चलाने वाली एनजीओ स्वामी विवेकानंद फाउंडेशन की जाँच करवा लीजिए तीस्ता तो उनके सामने एक बूँद भी नहीं होंगी।
ऐसा मत करो कि कोई भविष्य में हमारे साथ हमारी मदद के लिए ही ना खड़ा हो और फिर हम तो हैं ही नकारा जो अपने लिए ना कुछ कर सकते हैं ना लड़ाई लड़ सकते हैं ।
बस बोटी नोचिए और सो जाईए , खुद कुछ ना करिए और जो कोई कुछ हमारे लिए करे उसी को गालियाँ दीजिए । देते रहिए गालियाँ , मदद के एक तिनके के लिए भी एक दिन तरस जाएंगे , संघ के इसी प्रयास का साथ देते रहिए ।
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Mohd Zahid
Rupa Mody तीस्ता सेतलवाड जी हमारे लिये क्या हे कोई नहीं जानता तिस्ता जी को खुदा ने फरिस्ता बना के भेजा हे
आज ये ना होती तो इतने शहीद हुये मुसलमानों को न्याय नहीं दिला बातों,,….
ओर तीस्ता सेतलवाड पर जो आरोप लगाते हो वो गलत हे… उनके बारे मे जमते क्या हो जो आरोप लगाते हो,, वो गुजरात की ओर सरकारी वकील की बेटी हे,
बस वो मेरी बडी बहन हे पीडित लोगोंकी मसीहा हे,,
चंद रुपियो में ओर संधि लोग गलत बोलते हे..
उनकी ताकत बनो जो अपनो के लिये जान, हथेली मे लिकर अपनी मदद करती हे
Rafique Ahmad आप किस क़ौम की बात कर रहें हैं??
उनकी जो वक़्त पर कभी साथ खड़े नहीं होते ? उनकी जिनकी क्रांतिकारी सोच सिर्फ़ फ़ेस्बुक तक ही सीमित है? उनकी जो हर बात में कुतर्क घुसाकर ख़ुद को अक़्लमंदी का इकलौता वारिस समझते हैं ?? अरे ऐसे मौक़ापरस्त और दूसरे के ऊपर थोपने वाले हर जगह मिलेंगे। किसी की औक़ात तो थी नहीं कि किसी कोर्ट में केस लड़ते सिवाय हाय मोदी हाय मोदी करने के अलावा ऐसे फ़ाकेबूकिया क्रांतिकारियों के पास कुछ नहीं है।
तो तिस्ता जी, आपने जो क़ुरबानी दी है और इंसानियत के नाम पर ख़ुद को सामने खड़ा किया है उसकी कोई मिसाल नहीं और नाहीं कोई हो सकेगा
जो ज़िम्मेदारी उन नेताओ की थी जो अपने आप को मुसलमान के “नाजायज़” स्वयंघोषित नेता कहते हैं वो काम आप एक औरत होकर के किया।