Watch how a Facebook campaign has changed the way “Bharat Mata” looks today on many RSS sites. The change has happened within a week. We followed Dalit Journalist Dilip Mandal’s Facebook posts which are extremely popular among a range of people. We followed some of RSS’ sites.
Mandal’s posts not only voice the Dalit, Bahujan, minority and Left concerns about RSS’ idea of “Mother India”. His posts also document the changes RSS is making on its various sites.
Facebook Post 17th March, 2016
गणराज्य के स्वतंत्र नागरिक के तौर पर मेरी मर्जी. जय फुले, जय भीम, जय भारत के अलावा कुछ नहीं बोलूंगा. जो करते बने कर लेना. और जो यह न बोले, उसके न बोलने के अधिकार का भी सिर झुकाकर सम्मान करूंगा.
फर्जी कहीं के…संघी कहीं के….
किसी एक के बाप का नहीं है देश कि जैसा तुम कहो, वैसा ही हर कोई बोले.
अब 15 लाख रुपये हर किसी के एकाउंट में डालो और बंद स्कॉलरशिप चालू करो. माल्या को वापस लाओ. रोहित एक्ट पास करो. मनुस्मृति ईरानी और बंदारू दत्तात्रेय को बर्खास्त करो. आरक्षण की समीक्षा का तमाशा बंद करो. जाति जनगणना के आंकड़े सामने रखो.
बहुत देखी तुम्हारी नकली देशभक्ति!
Facebook Post 17th March, 2016
आरएसएस ने जो भारत माता बनाई है, उसकी जय तो मैं कतई नहीं बोलूंगा.
एक तो उस महिला के हाथ में राष्ट्रीय झंडा नहीं है. उसने भगवा झंडा पकड़ रखा है. उसकी देशभक्ति संदिग्ध है. देशभक्त होती, तो हाथ में राष्ट्रीय झंडा होता, जिसे हर देशवासी गर्व से थामता है.
दूसरे वह सिर्फ संस्कृत बोलती और समझती हैं. सिर्फ संस्कृत में उसकी वंदना गाई गई है.
तीसरे, वह नैनो, नक्श और रंग रूप से भारतीय कम और यूरोपीय ज्यादा लगती है. भारतीय लोगों का एवरेज स्किन कलर गेहुआं है.
श्रीलंका, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश की संप्रभुता का मैं आदर करता हूं. आरएसएस की बनाई भारत माता की फोटो से पड़ोसी देश से रिश्ते खराब होंगे.
राष्ट्रीय झंडे के सम्मान के साथ मैं कोई समझौता नहीं कर सकता. आप करेंगे क्या? – March 17th, 2016
Facebook 17th March, 2016
संघियों, तुम्हारी भारत माता के हाथ में राष्ट्रीय झंडा क्यों नहीं है? फोटोशॉप करके सारी तस्वीरों को 24 घंटे के अंदर ठीक करो. गहरे नीले रंग का अशोक चक्र छूटना नहीं चाहिए.
कल मै तुम लोगों की सारी वेबसाइट और ट्विटर, फेसबुक पेज फिर चेक करूंगा.
Facebook Post 18th March, 2016
भगवा झंडे वाली होगी संघियों की राष्ट्रमाता, हमारी राष्ट्रमाता तो क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले हैं. भारत के पहले गर्ल्स स्कूल की पहली प्रिंसिपल. भारतीय इतिहास की सबसे शानदार शख्सियत. बेजोड़, बेमिसाल.
फोटो – सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी के पास से गुजरती एक स्टूडेंट.
Facebook Post 18th March, 2016
आरएसएस की भारत माता के हाथ में भगवा है, हमारी भारत माता के हाथ में राष्ट्रीय ध्वज है.
तुम्हारी भारत माता सिंह की मूर्ति पर बैठी सुस्ता रही है, हमारी भारत माता पशुपालक है, हाथ में खेती के औजार और अनाज की टोकरी है. पेट पालती है देश का.
तुम्हारी भारत माता इतने गहने पहनकर कामधाम तो करती नहीं होगी?
भारत माता की यह पेंटिंग देश के प्रसिद्ध चित्रकार प्रोफेसर डॉ. लाल रत्नाकर ने बनाई है. दूसरी पेंटिंग आरएसएस की साइट से.
Facebook Post 18th March, 2016
भारत माता ग्रामवासिनी
खेतों में फैला है आंचल…
फोटो – Deepak Shah से उधार! लाइनें भी किसी कवि से लोन पर. यूं भी भारत 75% तक भैंस का दूध पीता है और गाय की जय बोलता है. पावडर दूध तो शत प्रतिशत भैंस का दूध है, जिसे पीकर करोड़ों बच्चे पल रहे हैं… बस इतना है कि भैंस का एहसान नहीं मानेंगे!
Facebook Post 19th March, 2016
आज पहली बार, कुछ संघी वेबसाइट पर भारत माता की यह एडीटेड यानी ठीक की हुई तस्वीर दिख रही है. पहले वाला भगवा झंडा हटाकर राष्ट्रीय झंडा लगा दिया है. साड़ी भी तिरंगी है. तिरंगा बैज भी लगा दिया है. 91 साल की उम्र में कुछ तो अकल आई है. 19th March, 2016
Facebook Post 19th March, 2016
पुरानी तस्वीरें हटाने में समय लगेगा. लेकिन अब से, संघ की किसी भी वेबसाइट या पेज पर अगर भारत माता की नई तस्वीर में राष्ट्रीय ध्वज की जगह, भगवा झंडा नजर आए तो मुझे बताइयेगा.
पिछले 24 घंटे में ऐसी कोई नई तस्वीर मुझे नजर नहीं आई है. आपको दिखी क्या?
संघी हैं तो क्या? आदमी ही तो हैं. सुधर जायेंगे! smile emoticon
फोटो – देवी ब्रिटानिया, 1888, प्लेमाउथ, इंग्लैंड
Facebook post- 19th March, 2016
ब्रिटेन की राष्ट्रमाता ब्रिटानिया को, रंग-रोगन करके भारत माता बोलकर चलाने के लिए राष्ट्र, संघ को कभी माफ नहीं करेगा!
1888 में यानी आरएसएस के जन्म से 37 साल पहले इंग्लैंड के प्लेमाउथ में ब्रिटानिया की यह मूर्ति लगी थी. ब्रिटानिया के पुराने जमाने के पोस्टर देखिए. महिला और शेर पर गौर कीजिए.
गौर से देखिए.
नकलची कहीं के. काली टोपी, खाकी चड्डी, विचार, राष्ट्र का प्रतीक… कुछ भी तो स्वदेशी नहीं है. भारत माता का आइडिया तक ब्रिटेन से चुराया हुआ.
धिक्कार है.