चैनलों और शिल्पी तिवारी का एहसान मानिए कि उन्होंने जेएनयू के वीडियो में हाफिज सईद, दाऊद इब्राहिम, गब्बर सिंह, डॉक्टर डैंग, ओसामा बिन लादेन, मसूद अजहर वगैरह को नहीं डाला. देश इस बात के लिए उनका आभारी रहेगा कि वे नारों का फर्जी ऑडियो यानी साउंड ट्रैक जोड़ कर संतुष्ट हो गए.
यह क्या चैनलों का मामूली त्याग है कि उन्होंने जेएनयू के वीडियो में डॉ. रोहित वेमुला को मुंह ढककर नारे लगाते नहीं दिखाया.
चाहते तो उस वीडियो में वे हरे रंग के एलियन यानी परलोकवासी भी डाल सकते थे. जेएनयू में वे दुश्मन देश का मिसाइल लॉन्च पैड भी दिखा सकते हैं.
चैनल चाहते तो स्टूडेंट्स के सिर पर सींग भी लगा सकते थे. उन्होंने ऐसा नहीं किया, इसके लिए उन्हें प्रणाम!
स्वर्ग की सीढ़ी, गाय चुराते एलियन, जलपरी, डायन मांगे पेट्रोल, नागिन का बदला जैसी खबर दिखाने वालों की प्रतिभा को प्रणाम.
शिल्पी तिवारी के वीडियो शिल्प को प्रणाम
दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में एफिडेविट दिया है कि जेएनयू में राजद्रोही नारेबाजी का वीडियो मौजूद नहीं है… तो क्या अब तक कबड्डी – कबड्डी खेल रहे थे?
यह लड़की ठीक कहती है-
जेएनयू तो बहाना है, मकसद
रोहित वेमुला मुद्दे को दबाना है.
आज तो आपके पास WhatsApp है, कलम है, फेसबुक है, ईमेल है, यूनिवर्सिटी में जाने का हक है, तो आपने शिल्पी तिवारी के फ्रॉड को पकड़ लिया कि उसने कैसे जेएनयू का फर्जी वीडियो बनाया.
सोचिए उस दौर के बारे में, जब सिर्फ शिल्पी तिवारी के पूर्वजों के हाथों में कलम थी, तब किस किस को दैत्य, दानव, राक्षस बनाया गया होगा. किस किस को विलेन बनाया गया होगा.
आपके पुरखों ने विरोध किया भी होगा, तो उस विरोध का इतिहास लिखने वाला कोई था ही नहीं. गुरुकुलों के दरवाजे बंद थे. पढ़ने लिखने पर दंड था.
इसलिए वे सब राक्षस बना दिए गए. आपने भी इसे सच मान लिया.
जिसे वे कलियुग कहते थे, वह यही लोकतंत्र है! स्वागत है कलियुग में आप सबका.
जमकर लिखिए.
Two JNU Videos ‘Manipulated’: Forensic Report
JNU row Smriti Iranis former close aide behind doctored video of Kanhaiya Kumar