रोहित वेमुला और आंबेडकर एसोसिएशन के उसके साथियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए स्मृति ईरानी को आधिकारिक पत्र लिखने वाले केंद्रीय मंत्री बंदारू दत्तात्रेय RSS की एक सभा में असलहों यानी हथियारों की पूजा करते हुए.
नरेंद्र मोदी की सरकार देश के इतिहास की पहली ऐसी केंद्रीय सरकार है, जिसके एक मंत्री पर SC, ST उत्पीड़न कानून की धाराओं के तहत केस चल रहा है. यह गैर-जमानती केस है.
RSS के समारोह में शस्त्र पूजन यानी बंदूक-पिस्तौल की पूजा करते स्वयंसेवक बंदारू दत्तात्रेय.
तस्वीर मंत्री जी के ऑफिशियल पेज से साभार.
यह तस्वीर उन्होंने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट बंदारूदत्तात्रेय डॉट ओआरजी पर लगाई है.
उन्होंने हथियारों की सार्वजनिक रूप से पूजा की और एक बच्चे को मार डाला. वाह रे वीर शिरोमणि! किससे लड़ रहे हो? कौन है दुश्मन तुम्हारा?
इस समय आप देश में जो होता हुआ देख रहे हैं, वह हाल के वर्षों में ब्राह्मणवाद के खिलाफ़ सबसे बड़ा प्रतिरोध है. अगर आप खामोश हैं, तो समझ लीजिए कि आप किस ओर खड़े हैं.
और हां, यह सिर्फ दलितों का आंदोलन नहीं है. मैं अपनी यूनिवर्सिटी के लोगों को पहचानता हूं. कल दिल्ली में मंत्रालय के बाहर हुए प्रदर्शन में एक चौथाई छात्र भी दलित नहीं होंगे. आधे से अधिक लड़कियां होंगी.
यह इंसानियत का मसला है. आपकी समझ में आए तो भी, और न आए तो भी.
फांसी के खिलाफ तो मैं भी हूं. चाहे वह आजाद भारत के पहले आतंकवादी नाथूराम गोडसे को हो, बलात्कारी धनंजय चटर्जी को हो या मुंबई ब्लास्ट के सजायाफ्ता याकूब मेमन को….. तो अब?
मैं इस बारे में सैकडों बार लिख चुका हूं कि मृत्युदंड बंद होना चाहिए.
इस बारे में एक राष्ट्रीय बहस है, जिसमें अलग अलग राय हो ही सकती है.
दुनिया के ज्यादातर देशों में मृत्युदंड नहीं है. बेलारूस को छोड़कर पूरे यूरोप में नहीं है. वे देश ठीकठाक चल रहे हैं.
जिन देशों में मृत्युदंड है, उनमें भी मुश्किल से कुछ देश होंगे, जिन्होंने पिछले 10 साल में किसी को यह सजा दी है. दुनिया सभ्य होने की ओर बढ़ रही है.
भारत के ढेरों न्यायविद फांसी के खिलाफ है. ऐसी बहसें विश्वविद्यालय में नहीं होगी, तो कहां होगी?