मैंने तेरा खत पढ़ा
और रहा में चुप खड़ा
तू आया रोया मर गया
तू लड़ गया सूली चढ़ा
सितारों की तू धुल था
तू जंगलों का फूल था
मैं सदियों का फंसा हुआ
मैं सदियों का धंसा हुआ
सड़ा हुआ सही मगर
मेरा भी एक उसूल था
विज्ञान मेरी जेब में
और ज्ञान मेरे सर चढ़ा
वो तुझको ना बचा सका
जो कुछ भी था मैंने पढ़ा
अभी तलक वहीँ हूँ मैं
उफ़ बदला ही नहीं हूँ मैं
मेरे कानों जूँ न रेंगी
हाय मैं देश हूँ बहोत बडा