प्रख्यात हिंदी कहानीकार और उपन्यासकार उदय प्रकाश ने प्रोफेसर कलबुर्गी की हत्या के विरोध में अहम प्रतिरोध दर्ज करवाते हुए, 2010-11 के लिए प्रदान किया गया, अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस करने का निर्णय किया है। अपने सोशल मीडिया पेज पर उन्होंने इस बाबत घोषणा की, जो इस प्रकार है,
पिछले समय से हमारे देश में लेखकों, कलाकारों, चिंतकों और बौद्धिकों के प्रति जिस तरह का हिंसक, अपमानजनक, अवमानना पूर्ण व्यवहार लगातार हो रहा है, जिसकी ताज़ा कड़ी प्रख्यात लेखक और विचारक तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ साहित्यकार श्री कलबुर्गी की मतांध हिंदुत्ववादी अपराधियों द्वारा की गई कायराना और दहशतनाक हत्या है, उसने मेरे जैसे अकेले लेखक को भीतर से हिला दिया है।
अब यह चुप रहने का और मुँह सिल कर सुरक्षित कहीं छुप जाने का पल नहीं है। वर्ना ये ख़तरे बढ़ते जायेंगे।
मैं साहित्यकार कुलबर्गी जी की हत्या के विरोध में ‘मोहन दास’ नामक कृति पर २०१०-११ में प्रदान किये गये साहित्य अकादमी पुरस्कार को विनम्रता लेकिन सुचिंतित दृढ़ता के साथ लौटाता हूँ।
अभी गॉंव में हूँ। ७-८ सितंबर तक दिल्ली पहुँचते ही इस संदर्भ में औपचारिक पत्र और राशि भेज दूँगा।
मैं उस निर्णायक मंडल के सदस्य, जिनके कारण ‘मोहन दास’ को यह पुरस्कार मिला, अशोक वाजपेयी और चित्रा मुद्गल के प्रति आभार व्यक्त करते हुए, यह पुरस्कार वापस करता हूँ।
आप सभी दोस्तों से अपेक्षा है कि आप मेरे इस निर्णय में मेरे साथ बने रहेंगे, पहले की ही तरह।
आपका
उदय प्रकाश।
Fully support such actions
I also withdrew my book publication
support project from Gujrat
Sahitya Aka demi
In Poland, when a writer changed his
stand and the tyrannical Govt
the readers returned his books
at his resident …
Great step by a great writer.hats off .
Great step taken by the great artist.hats off.