तुम्हारी दीवार कितनी लम्बी है?
कितने किलोमीटर लम्बी है ये दीवार
क्या कहा कोई 700 किलोमीटर लम्बी
तो कितना लगा होगा इसमें सीमेंट
कितनी ईंटें
कितना लोहा
कितने लोग
और कितना पैसा
कितना ख़ून, ये मत बताना
हमारा बहा है, सो हम जानते हैं किसी से भी बेहतर
कितने किलोमीटर लम्बी है ये दीवार
क्या कहा…कोई 700 किलोमीटर लम्बी?
जिसको तुम बनाते जा रहे हो, उसी डर से
जिस डर से तुम हम को ख़त्म ही कर देना चाहते हो
लेकिन जिसे ख़त्म ही कर दोगे
बताओ तो उस के डर से क्यों बनाते हो दीवार
बताओ तो कि दीवार बचेगी या फिर हम
और हमारे बिना अकेली कैसी लगेगी ये दीवार
देखो हमने बना दिए हैं हंसते हुए चेहरे
इस 700 किलोमीटर लम्बी दीवार पर
जो इसको हमारी सारी लाशों के गिद्धों के खा लिए जाने के बाद भी
इस पर रहेंगी, जिससे रहे दीवार का मक़सद
वही मक़सद, जो होता है, ऐसी किसी 700 किलोमीटर लम्बी दीवार का
इतनी ही लम्बाई तो कही थी न तुमने
कितने किलोमीटर लम्बी है ये दीवार ….
हर बार जब हम तुम्हारे लिए ख़ौफ़ बन गए
तुम ने आसमान से आग बरसा दी
दरअसल ये ज़रूरी भी था
कि खत्म कर दिया जाता हमारे बीमारों-औरतों को
कहीं उन पर दया आ जाती तो…
हंसते-खेतले हुए बच्चे कहीं ग़लती से किसी रोज़
दिल बदल देते, तुम्हारे चेहरे पर भी ला देते मुस्कुराहट
और बढ़ आते तुम उनको गोद में ले, उनके गाल पर चिकोटी काटने
और कहीं अगर बूढ़े समझा ले जाते तुमको
कि पीढ़ियों ने भोग के समझा है जंग की ज़रूरत की ग़ैरज़रूरत को
इसलिए कौन दाग रहा है मिसाइल ये देख न सकें हम
तुमने बना दी दीवार
क्या कहा…700 किलोमीटर लम्बी दीवार
उस दीवार को कभी आकर देखना हमारी ओर से
गाज़ा की ओर से निहारना दीवार पर उकेर दी गई तस्वीरों को
उसके एक ओर चे है…एक ओर यासिर अराफ़ात…एक ओर लैला ख़ालेद भी
लेकिन उसके बीच में दो हाथ हैं एक दूसरे की ओर बढ़ते
सीढ़ियों पर रखा एक दिल भी
सीढ़ी उसी दीवार पर चढ़ रही है, उसके पास ही एक बच्ची है
हां, वही बच्ची जो पिछली रात हुए हमले में अपने परिवार समेत शहीद हुई
उसका सपना है उस दीवार पर
जहां वो कर रही है एक जवान की सुरक्षा जांच
ठीक वैसे ही जैसे जवान करते रहे, गोली मार देने से पहले
और हां, उसी दीवार पर
रंगों और कूचियों से उकेर दी गई हैं
कुछ दरवाज़े, जिनके खुलने के इंतज़ार में एक चरवाहा खड़ा है
कुछ खिड़कियां, जिनसे झांकते हैं बच्चें और औरतें
कुछ झरोखे जिनसे उस पार का समंदर और ताड़ के पेड़ दिखते हैं
कुछ जंगल जो अभी भी धरती पर मिसाइळ हमलों से बचे हैं
कुछ इंसान, जो इंसान हैं…उनके पासपोर्ट उनके नाम, चेहरे और फितरत नहीं
देखना एक दिन इन्हीं झरोखों, खिड़कियों और दरवाज़ों से
इस दीवार को पार कर जाएंगे
चरवाहे, औरतें, बच्चे और धूल
पहुंच जाएंगे उस समंदर और जंगल के बीच
फांदते हुए सड़क पर बिखरे रॉकेटों के कबाड़ को
क्या कहा तुमने ये 700 किलोमीटर लम्बी दीवार है
हमारे मूसा याद हैं तुमको, जो तुम्हारे मोसेस थे?
और वो हज़ारों किलोमीटर का सफ़र जिसे तय किया गया था 40 सालों में
क्या कहा तुम ने कितनी है इस दीवार की लम्बाई?
हमारी कविता भी उतनी ही लम्बी होगी…हमारा संघर्ष भी
क्या कहा….सिर्फ 700 किलोमीटर….
(इज़रायल वेस्ट बैंक बैरियर नाम से 700 किलोमीटर लम्बी दीवार का लगातार निर्माण कर रहा है, और साथ ही साथ फिलीस्तीनियों का क्रमबद्ध जनसंहार भी…इसको देख कर एक पल लगता है कि कहने के लिए कोई शब्द नहीं है और फिर लगता है कि न जाने कितने ग्रंथ लिखे जा सकते हैं। इज़रायल के खिलाफ़ होने के लिए कारण नहीं ढूंढने हैं, अपने अंदर के इंसान को ढूंढना है क्योंकि हाल के हमलों और युद्ध में सिर्फ फिलीस्तीनी गरीब नागरिक ही मारे गए हैं। फासीवाद हो बर्बाद…)