
उस देश में कई सूबे थे…
हर सूबा
एक अलग अलग देश सा था
हर सूबे में कई शहर थे
हर शहर
एक एक देश होता था
कोई शहर हिंदुओं का था
कोई शहर मुसलमानों का
सिखों, ईसाईयों के भी कुछ
शहर बन गए थे
और हर ऐसा शहर बन गया था
एक मज़हबी मुल्क
कुछ शहर बचे थे
जो हिंदुओं-मुसलमानों
और बाकियों के नहीं थे
उन शहरों में
हुआ करते थे
हिंदुओं…मुसलमानों
और बाकियों के अलग अलग इलाके
ये इलाके भी
अलग अलग
देश हुआ करते थे
ये देश
सारे सूबों…
शहरों…
इलाकों के देश
अक्सर करते रहते थे
एक दूसरे पर हमला
एक देश का आदमी
नहीं जाता था दूसरे देश की
सीमा के पार
चुनावों में
इनके नेता जीत कर
जाते थे
एक और देश में
जिसे ये लोग कहते थे दिल्ली
और वहीं से
चलाते थे एक साथ
बैठ कर
अलग अलग देशों की हुकूमतें
जहां जो ज़्यादा ताकतवर था
वहीं वो दूसरे पर हमला करता था
हर देश के पेट भरे लोग
इंतज़ार में थे
कि कब धीरे धीरे
हर घर बन जाए एक देश
और इसी बात से ख़ौफ़ज़दा थे
हर देश के भूखे नंगे लोग
हां इन शहरों और इलाकों के
देशों से अलग
थे कुछ गांव भी
जहां से लोग पढ़ लिख कर
आ गए थे शहर
और पीछे छोड़ आए थे
कुछ बचे हुए इंसान
हां इसीलिए
गांव अभी तक देश नहीं बने थे
वहां अभी भी कुछ इंसान
पैदा कर रहे थे
इन तमाम देशों के लिए अनाज
भेज रहे थे चमड़ा
और तैयार कर रहे थे
इनके सोने के लिए चारपाईयां
लेकिन
कुछ देश के लोग तय कर चुके थे
कि गांव को भी
बना कर छोड़ेंगे शहर
फिर शहर से देश…
और
आपको पता है क्या कि
शहर और मोहल्ले,
मुल्क में बदलने के बाद
श्मशान, कब्रिस्तान
और खंडडहरों में बदलते हैं…
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23-02-2013 (4.12 am)