हालांकि ये लिखना पड़ा, ये ही अपने आप में शर्मिंदा कर देने वाली घटना है…लेकिन इसके बावजूद ऐसा होता है…और व्यंग्य का उद्देश्य ही चुनौतियों और विडम्बना विरोध की समानांतर ताकत बनाए रखना है…इसलिए मैं ये रचना लिखने पर मजबूर हों…मेरी संवेदनशीलता को ठेस पहुंची है, ये व्यंग्य उसका प्रमाण है…हैदराबाद में जो हमारे साथ नहीं रहे, उनको श्रद्धांजलि के साथ…)
कसाईनमेंट से अचानक से तेज़ शोर उभरता है…ब्रेक करो…ब्रेक करो…
कसाईनमेंट हेड – ब्रेक करो…फ्लैश क्यों नहीं करते साले चू*&
असिस्टेंट प्रोड्यूसर – सर, कन्फर्म तो कर लें…
कसाईनमेंट हेड – अबे ब्लास्ट हुआ है…कन्फर्म क्या कर रहे हो उसमें…क्या रॉ और आईबी को फोन लगा रहे हो…अबे चला देगा खाज तक और एबीसीडी न्यूज़…क्या कर रहे हो यार….अभी बॉस विधवा विलाप शुरु कर देंगे…
लेकिन चैनल में एक कहावत थी कि कसाईनमेंट हेड की ज़ुबान उनके दिल से ज़्यादा काली थी…उनकी बात पूरी होने से पहले ही, चम्पादक के केबिन का दरवाज़ा खुलने की आवाज़…चम्पादक की चीख के शोर में दबती हुई सी सुनाई दी…
चम्पादक – सब साले गधे हो…ख़बर क्यों नहीं ब्रेक की ब्लास्ट वाली….अरे देखो सालों…देखो…खाज तक, एबीसीडी, घी न्यूज़…सब वहीं लगे हैं…अबे मुंह क्या देख रहे हो…मेरे मुंह पर ख़बर लिखी है क्या…तोड़ो बुलेटिन तोड़ो…लोअर ब्रेकिंग चलवाओ…फोनो लो…
(चम्पादक जी की डांट से बचने के लिए शाउटपुट हेड, अपनी डेस्क पर खड़े होकर अपने मातहतों पर चिल्लाने लगता था…इधर चम्पादक जी बौखलाए, शाउटपुट हेड दोगुनी ताकत से चिल्लाया…ये लगभग पुराने ज़माने में युद्ध का एलान करने वाले अर्दलियों की तरह था…)
रनडाउन पर बैठा धन डाउन प्रोड्यूसर असाइनमेंट से खबर पूछ कर लिख रहा था…शाउटपुट हेड खुद भाग कर पीसीआर में पहुंच गए थे…एक दूसरे चैनल की ही फुटेज को लाइव दिखाना शुरु किया जा सकता था…शाउटपुट हेड चिल्लाए…
”अरे एंकर चुप क्यों है…”
एंकर ने अंदर से जवाब दिया, “क्या बोलूं सर…कुछ पता भी तो हो…कुछ पता ही नहीं ख़बर क्या है…”
शाउटपुट हेड (बौखलाकर) – अरे यार, कुछ भी बोलो…अरे ये ही कहो यार कि हैदराबाद में धमाका…कई लोगों के मरने की पुष्टि….एक और आतंकी हमला…सैकडों घायल…शक्तिशाली विस्फोट…
एंकर – (हैरानी से) सर लेकिन अभी तक तो कुछ पता ही नहीं है…कैसे कई लोगों के मरने की बात…आतंकी हमला…शक्तिशा…
शाउटपुट हेड – (बीच में बात काट कर हकलाते हुए..) अरे यार…जब आएगी डीटेल्स तो कन्फर्म कर लेंगे…अब मरे तो होंगे ही न लोग…घायल भी हुए होंगे…कौन जान रहा है अभी…अभी फोनो मिल जाएगा…तब तक कुछ भी बकते रहो…
(एंकर बेहद संवेदनशीलता से अज्ञात ज्ञान बांटने लग जाता है…)
उसी वक्त फोनो पैच होता है…रिपोर्टर जिसे हैदराबाद में मौजूद बताया जा रहा होता है, वो सपेरों की बाइट लेने पुट्टपर्थी गया होता है…न्यूज़रूम से ही विशेष संवाददाता हैदराबाद से फोनो दे रहे होते हैं…
एंकर – जी रिपोर्टर साहब बताएं कि क्या हालात हैं हैदराबाद के…वहां बम धमाका हुआ है, कई लोग मारे गए हैं…सैकड़ों घायल हैं…आपके पास क्या जानकारी है ताज़ा…
रिपोर्टर – जी देखिए वहां बम धमाका हुआ है…कई लोग मारे गए हैं…सैकड़ों घायल हैं…
एंकर – जी…क्या ये आतंकी हमला है…क्या कोई छानबीन हो रही है…
रिपोर्टर – जी देखिए हो सकता है कि ये आतंकी हमला हो…ये ही सम्भावना जताई जाएगी…हो सकता है जांच भी हो…होनी भी चाहिए…लेकिन यहां पर कई लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हैं…
एंकर – जी जैसा कि हमारे संवाददाता ने बताया कि हैदराबाद धमाकों में कई लोग मारे गए हैं…सैकड़ों घायल हैं…ये आतंकी हमला हो सकता है…जैसा कि शक ज़ाहिर किया जा रहा है…हमारे पास पुख्ता जानकारी है………..
(तब तक चम्पादक धड़धड़ाते हुए पीसीआर में घुस चुके थे…)
चम्पादक – सालों चू%^ क्या हो रहा है ये सब…फोनो क्यों काट दिया…
पैनल प्रोड्यूसर – सर रिपोर्टर को कुछ पता ही नहीं था…क्या करते…
चम्पादक – अब तुम बताओगे…कि रिपोर्टर को क्या आता है…अपना काम करो केवल जैसा कहा जाए…कहां से पढ़े हो…
पैनल प्रोड्यूसर – सर…इसी चैनल के इंस्टीट्यूट से… आप ही तो पढ़ाने आते थे…
(चम्पादक खिसिया कर शाउटपुट हेड पर हमलावर होते हैं…)
“तुम ये बताओ…तुम यहां खड़े हो…क्या फायदा है तुम्हारे होने का..”
“सर वो….वो…”
“ये सर सर क्या लगा रखा है इंटर्न की तरह…एंकर क्यों नहीं चीख रहा है बार बार कि सबसे पहले ये ख़बर हम ने ब्रेक की…क्यों नहीं कह रहा है बार बार…एक्सक्लूसिव विसुअल्स…”
“सर….लेकिन विसुअल्स तो क्राइम्स म्याऊं से काटे हैं…उसकी आईडी भी दिख रही है…”
“अरे तो क्रॉप करवाओ…हद है यार ये भी सिखाना पड़ेगा…ये सब तो बेसिक्स हैं टीवी जर्नलिज़्म के…ओफ्फोह…तुमको नौकरी पर किसने रखा..?”
“सर…आप ने ही तो…”
“हां हां…ठीक है…”
(चम्पादक ईपी पर एंकर से कहते हैं…)
“सुनो…बार बार ये बात मेंशन करते रहो….ये ख़बर सबसे पहले हमारे चैनल पर ब्रेक की गई…”
एंकर – सर लेकिन सबसे पहले तो एबीसीडी ने की थी…बल्कि उससे भी पहले साउथ के चैनल ने…
चम्पादक – यार किसको पता चलेगा…कौन कोर्ट चला जाएगा इस बात पर…बोलो यार…जैसा कह रहे हैं…उसको देख रहे हो…करतब कोस्वामी को…कैसे माहौल बनाए हुए है…अरे थोड़ा माहौल बनाओ, लगे कि आतंकी हमला हुआ है…
(एंकर….चीखने लगता है…ऐसे कि जैसे चैनल के दफ्तर पर ही आतंकी हमला हो गया हो…)
(चम्पादक जी चिंतामग्न हो कर बाहर निकलते हैं…साथ साथ शाउटपुट हेड है…)
“यार ऐसा है…अभी तो डेटा आने में टाइम लगेगा कि कितने मरे हैं…कितने घायल…ऐसा करो एक अंदाज़ा ले कर अपने हिसाब से…रिपोर्टर से बात कर के…तब तक कुछ टेंटेटिव पैकेज बनवा लो…एक आतंकियों के खिलाफ़ पैकेज करवाओ…एक अफ़ज़ल की फांसी से जोड़ो इसे…और दो पैकेज करवाओ इमोशनल बढ़िया बिल्कुल…ऐसे कि मतलब जो सुने वो बस रो ही पड़े…वो चलवाएंगे रात भर…कल भी सुबह उसी में थोड़ा बहुत बदल कर चलवाएंगे…बिकाऊ आईटम होता है…समझे…”
“जी सर…बिल्कुल…”
“और हां…वो जो अपना रिपोर्टर है…क्राइम वाला…उससे कहो कि दो चार खतरनाक पीटूसी कर दे, आईएम पर शक ज़ाहिर करते हए…एक साइकिल ले ले कहीं से और कैसे हुआ होगा ब्लास्ट इसका एक वॉकथ्रू करवा दें…एक टिफिन दे दो उसको…अरे मेरा ही ले जाओ…”
“जी सर…और वो एक दो इमोशनल पीटूसी…”
“हां हां…और कुछ यार इमोशनल टाइप शॉट्स मंगवा लो…वो देखो जवान लोग कौन कौन से मरे हैं…उनके उनके घर भेजो रिपोर्टरों को…ज़रा मां बाप के रोते हुए शॉट्स मंगवाओ बढ़िया से…”
(तभी कसाईनमेंट हेड आता है…)
“सर…हैदराबाद से कुछ बेहतरीन विसुअल्स आए हैं…एक रोती हुई बुढ़िया अपने बेटे की लाश ढूंढ रही है….शानदार विसुअल है…लाशों के ढेर में रोती हुई बुढ़िया…एक्सक्लूसिव लगा कर चला सकते हैं…बिकाऊ आईटम है…”
“हां हां…तुरंत लो…ऐसा करो…एक समाजशास्त्री बुलाओ…एक रिटायर्ड जज…एक पुलिसवाला…या इंटेलिजेंस का फॉर्मर आदमी…कांग्रेस-बीजेपी-आप-खाप-बाप सबको……ऐड गुरु…फिल्म एक्टर…डायरेक्टर…और वो गायक…वो जो देशभक्ति के इमोशनल गाने गाता है…हां हां…अरे वो कवि विकार कुश्वास को भी बुला लो…ओहो…करो जल्दी…इसी विसुअल पर खेलना है…”
रात हो रही है…शाउटपुट हेड और चम्पादक दफ्तर से निकल रहे हैं…
शाउटपुट हेड – सर…आज तो सही रहा अपना…और वो बुढ़िया वाले ने तो बाकी चैनल का दम निकाल दिया…
चम्पादक – देखो मैंने कहा ही था न कि एक्स्ट्राऑर्डिनेरी विसुअल है…खेल जाओ…बहुत बढ़िया काम किया तुम सबने…इस हफ्ते देखो सीआरपी कैसी आती है…चलो कल मेरी ओर से दावत है…सबको बिरयानी खिलाता हूं कल…और शाम को चाहों तो कल घर आ जाओ…
शाउटपुट हेड – लेकिन सर कल तो शाम को मारे गए लोगों के लिए श्रद्धांजलि सभा का लाइव होना है…
चम्पादक – हां…तो उसके शुरु होते ही तुम निकल लेना…अपना चलता रहेगा
लाइव…या उसके खत्म होते ही जाना…पैग लगाए जाएंगे…
(चम्पादक गाड़ी स्टार्ट कर निकल जाते हैं…शाउटपुट हेड बौराए आम सा खुश बीवी को फोन लगाता है…रात आज और दिनों से कुछ ज़्यादा काली है…सन्नाटे और शोर में फर्क करना मुश्किल है…झींगुरों की आवाज़ में दूर से किसी के रोने की आवाज़ मिल कर आ रही है…हालांकि इतनी हल्की है कि उसकी उपेक्षा की जा सकती है…हां उपेक्षा…)
(इस कहानी का किसी भी जीवित, अर्धजीवित, मृत अथवा अर्धमृत व्यक्ति या किसी घटना से कोई लेना देना नहीं है…अगर ऐसा हो तो वो उसकी खुद की ज़िम्मेदारी है….व्यंग्य है कृपया अन्यथा ही लें… )
बहुत ख्ाूब मेरी जान…िबबिल्ककुल दे-देकर मारा है…